इस साल क्या रह सकती है गेहूं की कीमते | देखे इस रिपोर्ट में पूरी जानकारी

इस साल क्या रह सकती है गेहूं की कीमते | देखे इस रिपोर्ट में पूरी जानकारी
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किसान भाइयों, इस साल भारत में गेहूं की सरकारी खरीद में अप्रत्याशित रूप से 34 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जिसके चलते कुल खरीद का आंकड़ा 223.6 लाख टन तक पहुंच गया है। सरकार द्वारा निर्धारित 310 लाख टन के लक्ष्य को देखते हुए, वर्तमान खरीद की गति यह दर्शाती है कि यह लक्ष्य शीघ्र ही प्राप्त कर लिया जाएगा। फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, इस अभूतपूर्व वृद्धि के कई महत्वपूर्ण कारण हैं। किसानों को उनकी उपज के लिए आकर्षक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मिल रहा है, और कुछ राज्यों द्वारा अतिरिक्त बोनस भी प्रदान किया जा रहा है। इसके अलावा, इस साल की बेहतर फसल ने किसानों को अपनी फसल सरकारी एजेंसियों को बेचने के लिए प्रोत्साहित किया है।

भारतीय खाद्य निगम (FCI) और विभिन्न राज्य सरकारी एजेंसियों ने मिलकर प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्रों से अब तक 223.6 लाख टन से अधिक गेहूं की खरीद की है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में एक उल्लेखनीय वृद्धि है। इस मजबूत खरीद से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए पर्याप्त अनाज भंडार सुनिश्चित होगा और सरकार को ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के माध्यम से बाजार में हस्तक्षेप करके कीमतों को स्थिर रखने की क्षमता प्राप्त होगी। वर्तमान विपणन सीजन (अप्रैल-जून 2024) में मंडियों में गेहूं की आवक 297 लाख टन से अधिक रही है, जिसमें से लगभग 84 प्रतिशत सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदा गया है। यह आंकड़ा पिछले साल की इसी अवधि में हुई 266 लाख टन की कुल खरीद से काफी अधिक है। गौरतलब है कि पिछले तीन वर्षों में, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं की सरकारी खरीद अपने निर्धारित लक्ष्यों से कम रही थी।

किन राज्यों में सरकारी खरीद में आया भारी उछाल

किसान तक की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में इस सीजन में गेहूं की खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जहां अब तक 83.8 लाख टन गेहूं खरीदा जा चुका है, जो पिछले साल के 68.5 लाख टन से काफी अधिक है। पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी खरीद में वृद्धि हुई है, जहां इस साल 61.9 लाख टन गेहूं खरीदा गया है, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 57.2 लाख टन था। मध्य प्रदेश ने इस वर्ष अपने खरीद लक्ष्य को बढ़ाकर 70 लाख टन कर दिया है और पहले ही 61.4 लाख टन गेहूं की खरीद पूरी कर ली है। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश में गेहूं की खरीद इस सीजन में अपेक्षाकृत धीमी रही है, जहां 30 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले केवल 6.4 लाख टन गेहूं ही खरीदा जा सका है। इसके अतिरिक्त, राज्य में निजी व्यापारियों द्वारा अनाज की आवाजाही के लिए रैक की आपूर्ति पर कुछ अनौपचारिक प्रतिबंध लगाए गए हैं। इस सीजन में सरकार ने मुख्य रूप से पंजाब (124 लाख टन), हरियाणा (75 लाख टन), मध्य प्रदेश (70 लाख टन), उत्तर प्रदेश (30 लाख टन), राजस्थान (2 लाख टन) और गुजरात (1 लाख टन) से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया था।

गेहूं की अधिक खरीदी से कीमतों पर कितना होगा असर

किसान भाइयों, दिल्ली मंडी में गेहूं की कीमतें पिछले दो हफ्तों से 2645 से 2655 के बीच बनी हुई हैं और विशेषज्ञों का कहना है कि इस सीजन में दिल्ली में गेहूं का भाव 2600 के स्तर से नीचे जाने की कम गुंजाइश है क्योंकि गेहूं की कीमतें इस सीजन में अभी तक 2600 से नीचे नहीं आ पाई हैं और विशेषज्ञों का मानना है कि आटा, सूजी, मैदा मिलों की मांग निकलने से गेहूं की कीमतें 2600 से 2650 के बीच दायरे में घूमते नजर आएंगी। बात करें गेहूं की अधिक खरीदी से कीमतों पर कितना होगा असर तो अगर सरकार अपने गेहूं खरीद लक्ष्य को पूरा कर लेती है, तो जो साल के अंत में नवंबर और दिसंबर में गेहूं की कीमतों में तेजी आती है, उसे खरीदा गया गेहूं बाजार में उतारने से बाजार में ज्यादा तेजी नहीं आएगी। जैसा कि इस साल जनवरी 2025 में गेहूं का भाव 3300 तक पहुंच गया था, लेकिन स्टॉकिस्टों का अनुमान है कि इस साल 3300 तो नहीं लेकिन 2800 से 3000 के बीच भाव देखने को मिल सकते हैं। बाकी व्यापार अपने विवेक से करें।

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