किसान भाइयो इस साल गेहूं के घरेलू उत्पादन में पिछले वर्ष की तुलना में अच्छी वृद्धि होने का अनुमान है, और सरकारी तथा व्यापारिक खरीद में भी अच्छी बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं। रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (आरएफएमएफआई) के अध्यक्ष नवनीत चितलांगिया के अनुसार, चालू वर्ष में देश में लगभग 1090 लाख टन गेहूं का उत्पादन और 1030-1040 लाख टन का उपयोग संभावित है, जिसके परिणामस्वरूप 50-60 लाख टन का अधिशेष स्टॉक रह सकता है। सरकार ने 312.70 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है और वर्तमान में खरीद की स्थिति भी उत्साहजनक है, लेकिन कुल खरीद की मात्रा 290-300 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है। पिछले वर्ष, सरकार ने 266 लाख टन गेहूं की खरीद की थी।
गेहूं की खरीद में हुई वृद्धि
फेडरेशन के अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार केंद्रीय पूल में गेहूं का बकाया स्टॉक अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप कुल स्टॉक बढ़कर एक सुविधाजनक स्तर पर पहुंच जाएगा। यह स्थिति सरकार को खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के माध्यम से घरेलू बाजार में गेहूं की आपूर्ति और उपलब्धता को बढ़ाने तथा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए प्रभावी हस्तक्षेप करने का अवसर प्रदान कर सकती है। अनुमान है कि इस बार गेहूं का खुला बाजार भाव 2700 से 3000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच रहेगा। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष गेहूं की सरकारी खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की जा रही है, जिसमें पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में खरीद की गति विशेष रूप से तेज है।
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इस साल कैसी रह सकती है गेहूं की चाल
पिछले साल 1 अप्रैल को केंद्रीय पूल में केवल 75 लाख टन गेहूं का शेष स्टॉक था, जो इस वर्ष बढ़कर 118.70 लाख टन तक पहुंच जाएगा। यदि घरेलू खपत में थोड़ी वृद्धि होती है, तो भी सरकार कीमतों को नियंत्रित करने में सफल हो सकती है। गेहूं उत्पादों की खपत के तरीके में भी कुछ बदलाव देखा जा रहा है। पिछले दो वर्षों से गेहूं पर भंडारण सीमा लागू थी और इसका निर्यात भी बंद था, फिर भी कीमतों में तेजी बनी रही। इस वर्ष गेहूं की उपलब्धता बेहतर होने के कारण कीमतों में बड़ी तेजी आना मुश्किल प्रतीत होता है। हालाँकि गेहूं का भाव साल के लास्ट में 2700 से 3000 तक के भाव मिल सकते हैं। बात करें इस साल 3300 तक के भाव क्यों नहीं मिल सकते क्योंकि पिछली बार कुंभ के मेले के कारण गेहूं के उत्पादों की खपत बढ़ गई थी जिससे गेहूं की कीमतें 3300 तक पहुंच गई थीं। लेकिन इस साल ऐसा कुछ नहीं दिखाई दे रहा जिससे गेहूं उत्पादों की खपत बढ़े, तो इसलिए इस साल गेहूं का 3300 तक पहुंचना बहुत ही मुश्किल है। बाकी व्यापार अपने विवेक से करें।