साथियों, गेहूं की खेती हमारे देश में कृषि का मुख्य आधार है। यह एक प्रमुख खाद्यान्न है, जिसका सेवन न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में होता है। हालांकि, गेहूं की खेती में किसानों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें से एक बहुत बड़ा खतरा मंडूसी खरपतवार (जिसे लोग गुल्ली डंडा भी कहते हैं) है। यह खरपतवार किसानों के लिए एक गंभीर समस्या है क्योंकि यह गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। मंडूसी का प्रकोप गेहूं की खेती में 1960 के दशक से देखा जा रहा है, और तब से अब तक यह खरपतवार किसानों की परेशानियों का हिस्सा बन चुका है। यह खरपतवार गेहूं के पौधों से मिलकर उनका पोषक तत्व और पानी चुराता है, जिससे फसल की पैदावार में भारी कमी आ सकती है। अगर इस पर समय रहते नियंत्रण न किया जाए तो यह 10% से लेकर 100% तक गेहूं की फसल को नष्ट कर सकता है। इसलिए, मंडूसी से बचने के उपायों को जानना और लागू करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस रिपोर्ट में हम आपको इस खरपतवार की पहचान और इसके नियंत्रण के लिए प्रभावी तरीकों के बारे में विस्तार से बताएंगे। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में इस रिपोर्ट के माध्यम से।
मंडूसी खरपतवार की पहचान कैसे करें
साथियों, गेहूं के खेतों में मंडूसी खरपतवार का सबसे बड़ा खतरा यह है कि यह शुरुआत में बिल्कुल गेहूं के पौधे जैसा दिखता है। इसके पत्ते, तने, और पौधे की संरचना गेहूं से बहुत मिलती-जुलती होती है, जिससे किसान इसे पहचानने में मुश्किल महसूस करते हैं। लेकिन अगर आप ध्यान से देखें तो कुछ बारीक अंतर हैं, जिनसे इसे पहचाना जा सकता है। मंडूसी के तने का रंग गेहूं के तने से थोड़ा हल्का होता है, और यह जमीन के पास से लाल रंग का दिखता है। यदि आप इसके तने को तोड़ते हैं तो इससे लाल रंग का रस निकलता है। इसके पत्तों, तने और जड़ों से भी यह लाल रंग का रस निकलता है, जो एक स्पष्ट संकेत होता है कि यह गेहूं का पौधा नहीं, बल्कि मंडूसी खरपतवार है। इसके अलावा, यह खरपतवार जमीन के निचले हिस्से से उगता है और इसे निराई-गुड़ाई करके निकालना बहुत कठिन हो सकता है। मंडूसी का प्रभाव इतना गहरा होता है कि यह गेहूं के पौधों से पोषक तत्व और पानी चुराता है, जिससे गेहूं का पौधा ठीक से विकसित नहीं हो पाता। यह खरपतवार खेतों में धीरे-धीरे फैलता है और इसका प्रकोप बढ़ता जाता है, जिससे फसल का भारी नुकसान हो सकता है।
मंडूसी खरपतवार पर नियंत्रण के उपाय
अब बात करते हैं कि मंडूसी खरपतवार से कैसे निपटा जा सकता है। इसके नियंत्रण के लिए किसान तीन प्रमुख तरीके अपना सकते हैं। इन तरीकों को जानकर और सही समय पर लागू करके आप अपनी गेहूं की फसल को मंडूसी के प्रभाव से बचा सकते हैं।
1. बुवाई का सही समय और तरीका
मंडूसी खरपतवार से बचने का सबसे पहला तरीका है गेहूं की बुवाई का सही समय। विशेषज्ञों के अनुसार, किसानों को 15 नवंबर से पहले गेहूं की बुवाई करनी चाहिए। ऐसा करने से मंडूसी के बढ़ने के लिए सही परिस्थितियां नहीं बनतीं। इसके अलावा, कतार से कतार की दूरी को 18 सेमी रखना चाहिए ताकि खरपतवार को बढ़ने का मौका कम मिले। खाद का सही स्थान पर उपयोग भी महत्वपूर्ण है। बीज से 2-3 सेंटीमीटर नीचे खाद डालने से मंडूसी खरपतवार की बढ़त धीमी हो जाती है। मेड़ पर गेहूं की बुवाई करने से भी मंडूसी का प्रकोप कम हो सकता है। इसलिए, मेड़ों और नालियों को साफ रखना और गेहूं की जल्दी विकसित होने वाली किस्मों का इस्तेमाल करना फायदेमंद साबित हो सकता है।
2. निराई-गुड़ाई के जरिए
अगर बुवाई के बाद मंडूसी खरपतवार उग जाता है, तो उसे निराई-गुड़ाई के द्वारा भी नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, इस प्रक्रिया से नियंत्रण करना थोड़ा कठिन हो सकता है, क्योंकि यह खरपतवार पहले गेहूं के पौधे जैसा दिखता है, जिससे पहचान में दिक्कत आती है। फिर भी, 30 से 45 दिन बाद खेत में खुरपे या कसौले से गुड़ाई करके इस खरपतवार को नियंत्रण में लाया जा सकता है। इस समय तक यह खरपतवार थोड़ा बड़ा हो जाता है, जिससे इसे निकालना थोड़ी आसानी से हो सकता है।
3. दवाइयों का छिड़काव
मंडूसी खरपतवार पर नियंत्रण पाने का सबसे प्रभावी तरीका है दवाई का छिड़काव। यह तरीका जल्दी और प्रभावी परिणाम देता है। दवाई छिड़कने से पहले आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गेहूं के पौधों की उम्र 30 से 35 दिन हो चुकी हो। इस समय पर दवाइयां ज्यादा असरदार होती हैं। स्टाम्प 30 ई. सी. जैसे खरपतवारनाशी का उपयोग गेहूं उगने से पहले किया जा सकता है। इसके बाद, जब पौधा 2-3 पत्तियों वाला हो, तो आप कुछ विशेष प्रकार की दवाओं का उपयोग कर सकते हैं। आप लीडर (सल्फोसल्फ्यूरॉन) की 33.3 ग्राम मात्रा को 250-300 लीटर पानी में मिलाकर एक हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें। या सेन्कोर 70 डब्ल्यू. पी. (मैट्रिब्यूजिन): इस दवाई की 250 ग्राम मात्रा को 500 लीटर पानी में मिलाकर एक हेक्टेयर के हिसाब से छिड़कें। इसके अलावा, किसान टॉपिक 15 डब्ल्यू. पी. का भी उपयोग कर सकते हैं, यह दवाई संकरी पत्तियों वाले खरपतवारों के लिए कारगर होती है। 400 ग्राम की मात्रा को 250-300 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर में छिड़कें। इन दवाइयों का सही समय और सही मात्रा में छिड़काव करना आवश्यक है ताकि खरपतवार पर नियंत्रण पाया जा सके और गेहूं की फसल को नुकसान से बचाया जा सके।
नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।