मेरे प्रिय किसान भाइयो 11 फरवरी 2025 को सरकार ने 2024-25 के लिए ओपन मार्केट सेल स्कीम (घरेलू) की नई नीति जारी की है। इस नीति का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि खुले बाजार में चावल की उपलब्धता बनी रहे और खरीद-बिक्री में स्थिरता रहे। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने इस नीति के तहत साफ दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनके मुताबिक राज्य सरकारों और इथेनॉल डिस्टिलरीज को चावल बेचने की प्रक्रिया तय की गई है। सरकार की यह पहल देश में खाद्य आपूर्ति को संतुलित रखने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए उठाया गया कदम है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जरूरतमंद सेक्टर को उचित दरों पर चावल मिल सके और बाजार में अनावश्यक उतार-चढ़ाव न हो।
FCI ने ख़रीदा 12 लाख मीट्रिक टन चावल
नई नीति के अनुसार, राज्य सरकारें और उनकी नामित एजेंसियां भारतीय खाद्य निगम (FCI) से 2250 रुपये प्रति क्विंटल की एक निश्चित दर पर 12 लाख मीट्रिक टन चावल खरीद सकती हैं। इस प्रक्रिया में ई-नीलामी की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे राज्य सरकारों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए चावल का स्टॉक आसानी से हासिल करना संभव होगा। इस कदम से खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और आवश्यक खाद्य कार्यक्रमों में किसी भी तरह की कमी को रोका जा सकेगा।
सरकार ने दी 24 लाख मीट्रिक टन चावल खरीदने की अनुमति
सरकार ने इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। खाद्य सुरक्षा को बनाए रखते हुए, सरकार ने इथेनॉल डिस्टिलरी को 2250 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 24 लाख मीट्रिक टन चावल खरीदने की अनुमति दी है। यह कदम देश की जैव ईंधन नीति के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करना और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना है। इस निर्णय से न केवल इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि कृषि उपज के वैकल्पिक उपयोग को भी बढ़ावा मिलेगा। यह कदम सरकार की ओर से एक संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसमें खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा दोनों को समान महत्व दिया जा रहा है।
OMSS-D सरकार की एक अहम नीति है
ओपन मार्केट सेल स्कीम – घरेलू (OMSS-D) सरकार की एक अहम नीति है, जो खाद्यान्न बाजार को संतुलित करने और बफर स्टॉक के सही प्रबंधन में मदद करती है। इसका मकसद यह है कि सरकारी गोदामों में पड़ा अतिरिक्त अनाज सही तरीके से इस्तेमाल हो, ताकि जमाखोरी और कीमतों में अनावश्यक उतार-चढ़ाव पर लगाम लगाई जा सके। सरकार इस योजना के तहत राज्य एजेंसियों और इथेनॉल उत्पादकों को सीधे अनाज खरीदने की सुविधा देती है। इससे बाजार में सप्लाई बनी रहती है और अचानक दाम बढ़ने की आशंका कम हो जाती है। इसके अलावा, एफसीआई के पास रखे चावल के स्टॉक की मांग बनाए रखने से किसानों को भी फायदा होता है, क्योंकि इससे उनके उत्पादों की खपत सुनिश्चित होती है। कुल मिलाकर, यह योजना बाजार में स्थिरता बनाए रखने, सट्टेबाजी पर लगाम लगाने और किसानों को अप्रत्यक्ष रूप से राहत देने में मददगार साबित हो सकती है।
सरकार ने लिए महत्वपूर्ण निर्णय
खाद्य सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा के बढ़ते महत्व को देखते हुए सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। खाद्य उत्पादों के मूल्य को 2250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रखने का यह फैसला बाजार में उतार-चढ़ाव को रोकने और आम लोगों के लिए खाद्य पदार्थों को किफायती बनाने की दिशा में एक कदम है। यह निर्णय भारत के इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के अनुरूप भी है, जिसका उद्देश्य 2025 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिलाना है। इस पहल से न केवल देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और किसानों की आय में वृद्धि करने में भी मदद मिलेगी। यह फैसला भारत के समग्र विकास के लिए एक सकारात्मक कदम है।