गेहूं के बाजार का आगे कैसा रह सकता है रुख | देखे पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में

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किसान भाइयो उत्तर भारत में हाल ही में हुई बारिश ने गेहूं की कटाई को प्रभावित किया है। अप्रैल के मध्य में मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की मंडियों में गेहूं की आवक बढ़ने से कीमतें काफी नीचे आ गई थीं। हालांकि, पिछले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई इलाकों में बारिश हुई और मौसम खराब रहा, जिससे किसानों को कटाई में कठिनाई हुई और मंडियों में गेहूं की आवक भी प्रभावित हुई। इसके चलते कीमतों में गिरावट का सिलसिला थम गया और बाजार को थोड़ा सहारा मिला है जिससे दिल्ली मंडी में गेहूं का भाव कल 2670 पर बंद हुआ है Whatsapp ग्रुप में जुड़ने के लिए ज्वाइन करे 👉🏻 ज्वाइन करे

पंजाब में हुई भारी बारिश से मंडियों में इकठा हुआ पानी

कल रात पंजाब के कई इलाकों में हुई भारी बारिश और तेज हवाओं ने किसानों के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बारिश के कारण कई अनाज मंडियों में पानी भर गया है, जिससे मंडियों में खुले आसमान के नीचे रखी किसानों की तोली हुई गेहूं की बोरियां पानी में डूब गई हैं। इस वजह से पहले से ही बेचे जा चुके गेहूं को काफी नुकसान पहुंचा है। इसके अतिरिक्त, बारिश में भीगे हुए अनाज की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है और इसे पूरी तरह से सूखने में लगभग 10 दिनों तक का समय लग सकता है।

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सरकार नहीं करेगी गेहूँ का निर्यात

अधिकारियों के अनुसार, भले ही सरकारी खरीद 31.3 मिलियन टन के लक्ष्य से अधिक हो जाए, भारत गेहूं के निर्यात की अनुमति नहीं देगा। इसका मुख्य उद्देश्य प्राथमिकता स्टॉक को मजबूत करना और राशन की दुकानों के माध्यम से सामान्य आवंटन को फिर से शुरू करना है। घरेलू उत्पादन में मामूली कमी और सरकारी खरीद में भारी गिरावट के बाद, केंद्र सरकार ने कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मई 2022 में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष गेहूं का उत्पादन और खरीद बेहतर है, लेकिन सरकार की पहली प्राथमिकता अभी भी बफर स्टॉक को आरामदायक स्तर तक भरना है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर खुले बाजार में कम से कम 6-7 मिलियन टन गेहूं बेचा जा सके। सरकार ने 2024-25 में नीलामी के माध्यम से खुले बाजार में लगभग 3 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं बेचा है, जबकि 2023-24 में यह बिक्री लगभग 10 मिलियन मीट्रिक टन थी।

गेहूं की सरकारी खरीद में हुई उल्लेखनीय वृद्धि

इस साल सरकार की गेहूं खरीद में एक महत्वपूर्ण उछाल देखने को मिला है, जो पिछले तीन वर्षों से पर्याप्त भंडार बनाए रखने की चुनौतियों के बाद कुछ राहत प्रदान करता है। अब तक, कुल खरीद 256.31 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुई 205 लाख मीट्रिक टन की खरीद से काफी अधिक है। हालांकि, इस वर्ष सरकार ने 312 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया है। देश के पांच प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों – पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में खरीद जोरों पर है, जो सामूहिक रूप से देश के कुल गेहूं उत्पादन का लगभग 65% योगदान करते हैं। इन राज्यों में, पंजाब ने केंद्रीय पूल में 103.89 लाख मीट्रिक टन, हरियाणा ने 65.67 लाख मीट्रिक टन, मध्य प्रदेश ने 67.57 लाख मीट्रिक टन, राजस्थान ने 11.44 लाख मीट्रिक टन और उत्तर प्रदेश ने 7.55 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा है। वर्तमान में, सरकारी खरीद के मामले में पंजाब सबसे आगे है।

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गेहूं के बाजार में आगे क्या रह सकता है

किसान भाइयों गेहूं का सीजन अब धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। 30 अप्रैल तक भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा पूरे देश में 250 लाख टन से अधिक गेहूं की खरीद की जा चुकी है, और खरीद की यह स्थिति पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर है, जिसमें पंजाब ने विशेष रूप से अग्रणी भूमिका निभाई है। इस सप्ताह दिल्ली मंडी लॉरेंस रोड पर गेहूं के भाव में 15 रुपये तक की तेजी दर्ज की गई है। 26 अप्रैल 2025 को दिल्ली मंडी लॉरेंस रोड पर गेहूं का भाव 2655 रुपये पर खुला था और 3 मई 2025 को यह 2670 रुपये पर बंद हुआ। व्यापारियों का मानना है कि बारिश के कारण बाजार में गेहूं की आवक घटने और पहले से ही अच्छी मांग बने रहने के चलते आने वाले दिनों में कीमतों में 10 से 20 रुपये तक का सुधार देखने को मिल सकता है। दिल्ली मंडी में गेहूं के भाव पहले से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ऊपर चल रहे हैं, इसलिए हल्का-फुल्का करेक्शन भी आ सकता है। दिल्ली में अब ₹2600 से नीचे के भाव मिलना मुश्किल है और भाव MSP से ऊपर बने रहने की संभावना है, हालांकि पिछले साल जैसी तेजी दोहराई जाने की संभावना ना के बराबर है। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे

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