किसान और व्यापारी भाइयो वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने बासमती चावल निर्यात में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इस अवधि के दौरान, भारत ने कुल 60.65 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया, जो अब तक का सबसे अधिक निर्यात है। पिछले वर्ष की तुलना में बासमती चावल के निर्यात में 8 लाख टन की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस वृद्धि के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें कम कीमत, सरकार द्वारा निर्यात प्रतिबंधों को हटाना और पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते के स्थगन जैसे कदम शामिल हैं। इन कारकों ने भारत को वैश्विक बासमती बाजार में एक प्रमुख स्थान हासिल करने में मदद की है।
चावल निर्यात ने बनाया नया रिकॉर्ड
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने बासमती चावल के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। इस अवधि में कुल 60.65 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया गया, जो पिछले वर्ष के 52.42 लाख टन और तीन साल पहले के 45.6 लाख टन से काफी अधिक है। इसी तरह, गैर-बासमती चावल का निर्यात भी बढ़कर 141 लाख टन हो गया, जबकि पिछले वर्ष यह 111 लाख टन था। इस वृद्धि का मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय चावल की प्रतिस्पर्धी कीमतें और सरकार द्वारा दो साल पहले लगाए गए निर्यात प्रतिबंधों को हटाना है। सऊदी अरब ने 11.74 लाख टन, इराक ने 9 लाख टन, और ईरान ने 8.55 लाख टन बासमती चावल का आयात करके भारत की वैश्विक स्थिति को और मजबूत किया है। Whatsapp ग्रुप में जुड़ने के लिए ज्वाइन करे 👉🏻 ज्वाइन करे
बासमती चावल एक्सपोर्ट आंकड़े
भारत के बासमती चावल का निर्यात लगातार बढ़ रहा है, जो वैश्विक बाजार में इसकी बढ़ती मांग को दर्शाता है। वित्त वर्ष 2024-25 में, बासमती चावल का निर्यात 60.65 लाख टन तक पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 52.42 लाख टन से उल्लेखनीय वृद्धि है। यह वृद्धि पिछले कुछ वर्षों से जारी है, क्योंकि वित्त वर्ष 2022-23 में निर्यात 45.58 लाख टन और वित्त वर्ष 2021-22 में 39.48 लाख टन रहा था। ये आंकड़े भारतीय बासमती चावल के लिए एक मजबूत और बढ़ते अंतरराष्ट्रीय बाजार का संकेत देते हैं।
किन देशो ने ज्यादा चावल खरीदा
वैश्विक बासमती चावल के बाजार में भारत अपनी गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धी कीमतों के कारण एक प्रमुख स्थान रखता है। भारत से बासमती चावल के शीर्ष 10 खरीदारों में सऊदी अरब सबसे आगे है, जिसने 11.74 लाख टन का आयात किया है। इसके बाद इराक (9 लाख टन), ईरान (8.55 लाख टन), यमन (3.92 लाख टन), यूएई (3.89 लाख टन) और यूएस (2.74 लाख टन) जैसे देश प्रमुखता से शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इन देशों की लगातार बढ़ती मांग ने भारत को वैश्विक चावल निर्यात में अग्रणी बनाए रखा है। कृषि विशेषज्ञ राहुल चौहान ने बताया कि भारतीय बासमती चावल की कम कीमतें और उच्च गुणवत्ता इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक पसंदीदा बनाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप इसके निर्यात में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है। Whatsapp ग्रुप में जुड़ने के लिए ज्वाइन करे 👉🏻 ज्वाइन करे
चावल की निर्यात कीमतों में आई तेजी
बीते दो महीनों में बासमती चावल की कीमतों में अच्छी-खासी बढ़ोतरी देखी गई है। दो महीने पहले बासमती 1121 की कीमत 900 डॉलर प्रति टन (FOB) थी, जो अब 1100 डॉलर तक पहुंच गई है, यानी 200 डॉलर का उछाल आया है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर मांग इसी तरह बनी रही, तो कीमतें 1150 से 1200 डॉलर प्रति टन तक जा सकती हैं। कुछ अन्य जानकारों ने भी अगले कुछ समय में 5 से 10 फीसदी की और मूल्य वृद्धि की संभावना जताई है, जो निर्यात की स्थिति पर निर्भर करेगा। भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को स्थगित करने का बासमती चावल निर्यात पर सकारात्मक असर पड़ा है। पाकिस्तान, जो बासमती चावल का एक और बड़ा निर्यातक है, जल संकट के कारण बुवाई में देरी का सामना कर सकता है। इस स्थिति के चलते कीमतों में पहले ही 200 डॉलर की तेजी आ चुकी है। अगर यही हालात बने रहे, तो भारत का बासमती चावल निर्यात 70 लाख टन तक पहुंच सकता है, जिससे भारतीय किसानों को बड़ा फायदा होगा।
निर्यात और कीमतों में हो सकती है और भी वृद्धि
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि निर्यात की मांग और सरकारी समर्थन बना रहता है, तो बासमती चावल के निर्यात और कीमतों दोनों में वृद्धि होगी। राहुल चौहान के अनुमान के अनुसार, निर्यात 70 लाख टन तक पहुंच सकता है, जबकि मनोज जैन ने कीमतों में 5-10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की संभावना जताई है। इससे विश्व के सबसे बड़े चावल निर्यातक के रूप में भारत की स्थिति और मजबूत होगी, जो किसानों और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए सकारात्मक है। चावल की कीमतों में अभी 200 से 300 रुपये तक की और तेजी आने की संभावना है, बाकी व्यापारी अपने विवेक से व्यापार करें। Whatsapp ग्रुप में जुड़ने के लिए ज्वाइन करे 👉🏻 ज्वाइन करे