अप्रैल महीने में खाद्य तेलों का आयात पहुंचा पांच वर्षों के निचले स्तर पर | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में

अप्रैल महीने में खाद्य तेलों का आयात पहुंचा पांच वर्षों के निचले स्तर पर | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में
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किसान और व्यापारी भाइयो चालू तेल-तिलहन वर्ष 2024-25 के छठे महीने, यानी अप्रैल 2025 में, भारत में खाद्य तेलों का आयात पिछले पाँच वर्षों में सबसे निचले स्तर पर आ गया है। घरेलू खाद्य तेल उद्योग और व्यापार के शीर्ष संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन (SEA) के अनुसार, पाम तेल के आयात में गिरावट ही इस कमी का मुख्य कारण है। SEA के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2025 में कुल 8,91,558 टन खाद्य तेलों का आयात हुआ, जबकि पिछले वर्ष इसी महीने में यह आंकड़ा 13,18,528 टन था। यह दर्शाता है कि पिछले सीज़न की तुलना में इस बार इन तेलों के आयात में 32 प्रतिशत की गिरावट आई है। इस नवीनतम आयात में 29 हजार टन अखाद्य तेल भी शामिल हैं। यह मई 2020 के बाद का सबसे निचला आयात स्तर है। इसके साथ ही, चालू तेल-तिलहन वर्ष की पहली छमाही (नवंबर 2024-अप्रैल 2025) में देश में इन तेलों का कुल 66,97,700 टन आयात हुआ है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 71,48,643 टन था, जिससे पता चलता है कि समीक्षाधीन छमाही में इन तेलों के आयात में 6 प्रतिशत की कमी आई है। एसोसिएशन ने यह भी स्पष्ट किया है कि खाद्य तेल आयात में नेपाल से होने वाला आयात शामिल नहीं है। Whatsapp ग्रुप में जुड़ने के लिए ज्वाइन करे 👉🏻 ज्वाइन करे

नेपाल में खाद्य तेलों की आयात स्थिति कैसी है

एसोसिएशन के अनुसार, नेपाल को प्रति वर्ष लगभग 4.30 लाख टन खाद्य तेलों की आवश्यकता होती है, जिसका अर्थ है कि उसे हर महीने केवल 35 हजार टन खाद्य तेलों की ही ज़रूरत होती है। सितंबर 2024 में भारत द्वारा खाद्य तेलों की आयात शुल्क बढ़ाए जाने के बाद, नेपाल के रिफाइनरों ने बड़ी मात्रा में क्रूड ऑयल का आयात करना शुरू कर दिया। इसके बाद, उन्होंने साफ्टा समझौते के तहत शून्य शुल्क पर रियायती दरों पर रिफाइंड खाद्य तेलों का निर्यात करना शुरू कर दिया है। 15 अक्टूबर, 2024 से 15 अप्रैल, 2025 तक की छमाही के दौरान, नेपाल ने लगभग 5.80 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया है, जिसमें मुख्य रूप से क्रूड सोयाबीन और सूरजमुखी तेल शामिल हैं। इसमें से नेपाल ने लगभग 3.50 लाख टन रिफाइंड खाद्य तेलों का भारत को निर्यात किया है। एसोसिएशन का कहना है कि यह स्थिति काफी खतरनाक है, क्योंकि इससे न केवल घरेलू खाद्य तेल रिफाइनिंग उद्योग का अस्तित्व खतरे में है, बल्कि पूर्वी और उत्तरी भारत में स्थित इन इकाइयों को भारी घाटा उठाना पड़ रहा है। एसोसिएशन ने इस मुद्दे को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और उद्योग एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री श्री प्रहलाद जोशी के समक्ष मज़बूती से उठाया है। उम्मीद है कि नेपाल से हो रहे अत्यधिक खाद्य तेल आयात पर रोक लगाने के लिए जल्द ही कोई कार्रवाई की जाएगी। Whatsapp ग्रुप में जुड़ने के लिए ज्वाइन करे 👉🏻 ज्वाइन करे

घरेलु बाजार में क्या चल रहा है

भारतीय मौसम विभाग ने इस साल देश में मानसून के अपने सामान्य समय से पहले पहुंचने का अनुमान लगाया है। विभाग ने बताया है कि आमतौर पर 1 जून को केरल में मानसून का आगमन होता है, लेकिन इस बार इसके चार दिन पहले, यानी 27 मई को ही पहुंचने की उम्मीद है। इससे पहले, विभाग ने आगामी मानसून सीज़न के दौरान दीर्घावधि औसत की तुलना में 109 प्रतिशत वर्षा होने की संभावना भी व्यक्त की थी। ताजा आंकड़ों के अनुसार, चालू मई महीने की शुरुआत में विभिन्न बंदरगाहों पर कुल 7 लाख टन खाद्य तेल उपलब्ध थे। इसमें 1.55 लाख टन क्रूड पाम तेल, 1.10 लाख टन आरबीडी पामोलीन, 1.35 लाख टन डिगम्ड सोयाबीन तेल और 3 लाख टन क्रूड सूरजमुखी तेल शामिल है। इसके अतिरिक्त, पाइपलाइन में तथा घरेलू उत्पादन और खपत 6.51 लाख टन होने का अनुमान है। इस प्रकार, वर्तमान महीने की शुरुआत में देश में खाद्य तेलों की कुल 13.51 लाख टन उपलब्धता थी, जो कि एक महीने पहले की 16.66 लाख टन उपलब्धता की तुलना में 3.15 लाख टन कम है। बाकी व्यापार अपने विवेक से करे

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